May 5, 2009

A Good Poem by Mr. Rajiv Paul

This is a very good poem published in Hindustan Times Café on 04/05/2009. It is written by Mr. Rajiv Paul, TV actor.I have not taken formal permission from Mr. Rajiv Paul but I hope that Mr. Rajiv will will not mind it (as the same is on National News Paper).

Normally understanding poetry is not my forte. However some poems automatically make way for themselves. This poem also struck to me. I like it & hence sharing with my friends.
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झुन्जुलाहत घबराहट सी है
इस शहर में हसी भी थोडी दबी दबी सी है
मिलते है लोग मगर
हर मुलाकात कुछ अधूरी सी है
है घर थोड़े छोटे
और दिलो में जगह भी थोडी कम सी है
है वक़्त की मारामारी इतनी
की ख़ुद के लिए भी वक़्त की थोडी कमी सी है
कहते सपनो का शहर इससे
फिर क्योँ हर ख्वाइश अधूरी सी है
है लोग बोहोत मगर
दोस्तों की कही कमी सी है
यो तो है हसीनो का शहर ये
मोहब्बत की मगर कुछ कमी सी है
दावते होत है रोज़ कई
मगर रोटी की कहीं कमी सी है
रास्ते है बोहोत मंजिलो तक पोहोचने के
साथ चलने वालों की मगर कमी सी है
दास्ताने दिल की है कई
मगर सुनने वालों कु कुछ कमी सी है
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Khushal
05/05/09