मेरे दोस्त सुनीलने अपनी कमेंट्समे लिखा की कुछ ऐसी बात लिखा कर जो दिलको छू जाए!
मुझे पता नहीं कौनसी ऐसी बात लिखु। मैं कोशिश कर रहा हूँ की मैं कुछ न कुछ लिखता रहूँ, एक बार आदत पड़ गई तो शायद कुछ अच्छी बात लिख पाऊं।
वैसे मुझे फ़िल्मैं देखना पसंद करता हूँ पर बहोत दिनों से कोई फ़िल्म नहीं देखीं। वक़्त नहीं मिलता और पवई में रहने की वजह से शनिवार और रविवार बाहर निकलना बहोतही बोरिंग हो जाता हैं। अब टीवी देखके ही काम चला लेते हैं।
जब में १५-१८ साल का तब सोचता था की कैसे लोग यह कह सकते हैं की टाइम नहीं मिलता, सच में टाइम का मेनेजमेंट बहोत ही मुश्किल हैं।
खुशाल
१०/६/०८
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